अवध उजारि कीन्हि कैकेईं। दीन्हिसि अचल बिपति कै नेईं॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
अवध उजारि कीन्हि कैकेईं।
दीन्हिसि अचल बिपति कै नेईं॥5॥
भावार्थ:
कैकेयी ने अयोध्या को उजाड़ कर दिया और विपत्ति की अचल (सुदृढ़) नींव डाल दी॥5॥
English :
IAST :
Meaning :