जो सुनि सरु अस लाग तुम्हारें। काहे न बोलहु बचनु सँभारें॥ देहु उतरु अनु करहु कि नाहीं। सत्यसंध तुम्ह रघुकुल माहीं॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
जो सुनि सरु अस लाग तुम्हारें। काहे न बोलहु बचनु सँभारें॥
देहु उतरु अनु करहु कि नाहीं। सत्यसंध तुम्ह रघुकुल माहीं॥2॥
भावार्थ:
जो मेरा वचन सुनते ही आपको बाण सा लगा तो आप सोच-समझकर बात क्यों नहीं कहते? उत्तर दीजिए- हाँ कीजिए, नहीं तो नाहीं कर दीजिए। आप रघुवंश में सत्य प्रतिज्ञा वाले (प्रसिद्ध) हैं!॥2॥
English :
IAST :
Meaning :