सुनि मम बचन बिनीत मृदु मुनि कृपाल खगराज। मोहि सादर पूँछत भए द्विज आयहु केहि काज॥110 ग॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
दोहा :
सुनि मम बचन बिनीत मृदु मुनि कृपाल खगराज।
मोहि सादर पूँछत भए द्विज आयहु केहि काज॥110 ग॥
भावार्थ:
हे पक्षीराज! मेरे अत्यंत नम्र और कोमल वचन सुनकर कृपालु मुनि मुझसे आदर के साथ पूछने लगे- हे ब्राह्मण! आप किस कार्य से यहाँ आए हैं॥110 (ग)॥
IAST :
Meaning :