अस बिचारि जोइ कर सतसंगा। राम भगति तेहि सुलभ बिहंगा॥10॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
अस बिचारि जोइ कर सतसंगा।
राम भगति तेहि सुलभ बिहंगा॥10॥
भावार्थ:
ऐसा विचार कर जो भी संतों का संग करता है, हे गरुड़जी उसके लिए श्री रामजी की भक्ति सुलभ हो जाती है॥10॥
IAST :
Meaning :