काह करौं सखि सूध सुभाऊ। दाहिन बाम न जानउँ काऊ॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
काह करौं सखि सूध सुभाऊ।
दाहिन बाम न जानउँ काऊ॥4॥
भावार्थ:
सखी! क्या करूँ, मेरा तो सीधा स्वभाव है। मैं दायाँ-बायाँ कुछ भी नहीं जानती॥4॥
English :
IAST :
Meaning :