चित्रकूट रघुनंदनु छाए। समाचार सुनि सुनि मुनि आए॥ आवत देखि मुदित मुनिबृंदा। कीन्ह दंडवत रघुकुल चंदा॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
चित्रकूट रघुनंदनु छाए। समाचार सुनि सुनि मुनि आए॥
आवत देखि मुदित मुनिबृंदा। कीन्ह दंडवत रघुकुल चंदा॥3॥
भावार्थ:
श्री रघुनाथजी चित्रकूट में आ बसे हैं, यह समाचार सुन-सुनकर बहुत से मुनि आए। रघुकुल के चन्द्रमा श्री रामचन्द्रजी ने मुदित हुई मुनि मंडली को आते देखकर दंडवत प्रणाम किया॥3॥
English :
IAST :
Meaning :