जितेहु सुरासुर तब श्रम नाहीं। नर बानर केहि लेखे माहीं॥5
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
जितेहु सुरासुर तब श्रम नाहीं।
नर बानर केहि लेखे माहीं॥5॥
भावार्थ:
आपने देवताओं और राक्षसों को जीत लिया, तब तो कुछ श्रम ही नहीं हुआ। फिर मनुष्य और वानर किस गिनती में हैं?॥5॥
English :
IAST :
Meaning :