नाना बापीं कूप तड़ागा। सुमन बाटिका सुंदर बागा॥ बिप्रभवन सुरभवन सुहाए। सब तीरथन्ह विचित्र बनाए॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
चौपाई :
नाना बापीं कूप तड़ागा। सुमन बाटिका सुंदर बागा॥
बिप्रभवन सुरभवन सुहाए। सब तीरथन्ह विचित्र बनाए॥4॥
भावार्थ:
उसने बहुत सी बावलियाँ, कुएँ, तालाब, फुलवाड़ियाँ सुंदर बगीचे, ब्राह्मणों के लिए घर और देवताओं के सुंदर विचित्र मंदिर सब तीर्थों में बनवाए॥4॥
English :
IAST :
Meaning :