RamCharitManas (RamCharit.in)

इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

पन्नगारि असि नीति श्रुति संमत सज्जन कहहिं। अति नीचहु सन प्रीति करिअ जानि निज परम हित॥95 क॥

Spread the Glory of Sri SitaRam!

श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda

 

सोरठा : 

पन्नगारि असि नीति श्रुति संमत सज्जन कहहिं।
अति नीचहु सन प्रीति करिअ जानि निज परम हित॥95 क॥

भावार्थ:

हे गरुड़जी! वेदों में मानी हुई ऐसी नीति है और सज्जन भी कहते हैं कि अपना परम हित जानकर अत्यंत नीच से भी प्रेम करना चाहिए॥95 (क)॥

 

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


Spread the Glory of Sri SitaRam!

Shiv

शिव RamCharit.in के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं एवं सनातन धर्म एवं संस्कृत के सभी ग्रंथों को इंटरनेट पर निःशुल्क और मूल आध्यात्मिक भाव के साथ कई भाषाओं में उपलब्ध कराने हेतु पिछले 8 वर्षों से कार्यरत हैं। शिव टेक्नोलॉजी पृष्ठभूमि के हैं एवं सनातन धर्म हेतु तकनीकि के लाभकारी उपयोग पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

कृपया इस डिजिटल मंदिर निर्माण हेतु हमारा आर्थिक सहयोग करें! सत्य सनातन फाउंडेशन (रजि.) सरकार से स्वीकृत संस्था है। हिन्दू धर्म के संरक्षण व निःशुल्क सेवाकार्यों हेतु आपके आर्थिक सहयोग की अति आवश्यकता है।

X
error: