बिजय हेतु कटकई बनाई। सुदिन साधि नृप चलेउ बजाई॥ जहँ तहँ परीं अनेक लराईं। जीते सकल भूप बरिआईं॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
चौपाई :
बिजय हेतु कटकई बनाई। सुदिन साधि नृप चलेउ बजाई॥
जहँ तहँ परीं अनेक लराईं। जीते सकल भूप बरिआईं॥3॥
भावार्थ:
दिग्विजय के लिए सेना सजाकर वह राजा शुभ दिन (मुहूर्त) साधकर और डंका बजाकर चला। जहाँ-तहाँ बहुतसी लड़ाइयाँ हुईं। उसने सब राजाओं को बलपूर्वक जीत लिया॥3॥
English :
IAST :
Meaning :