बिपति मोरि को प्रभुहि सुनावा। पुरोडास चह रासभ खावा॥ सीता कै बिलाप सुनि भारी। भए चराचर जीव दुखारी॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
तृतीय सोपान | Descent Third
श्री अरण्यकाण्ड | Shri Aranya-Kand
चौपाई :
बिपति मोरि को प्रभुहि सुनावा। पुरोडास चह रासभ खावा॥
सीता कै बिलाप सुनि भारी। भए चराचर जीव दुखारी॥3॥
भावार्थ:
प्रभु को मेरी यह विपत्ति कौन सुनावे? यज्ञ के अन्न को गदहा खाना चाहता है। सीताजी का भारी विलाप सुनकर जड़-चेतन सभी जीव दुःखी हो गए॥3॥
English :
IAST :
Meaning :