भूपति राम सपथ जब करई। तब मागेहु जेहिं बचनु न टरई॥ होइ अकाजु आजु निसि बीतें। बचनु मोर प्रिय मानेहु जी तें॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
भूपति राम सपथ जब करई। तब मागेहु जेहिं बचनु न टरई॥
होइ अकाजु आजु निसि बीतें। बचनु मोर प्रिय मानेहु जी तें॥4॥
भावार्थ:
जब राजा राम की सौगंध खा लें, तब वर माँगना, जिससे वचन न टलने पावे। आज की रात बीत गई, तो काम बिगड़ जाएगा। मेरी बात को हृदय से प्रिय (या प्राणों से भी प्यारी) समझना॥4॥
English :
IAST :
Meaning :