सुनि पन सकल भूप अभिलाषे। भटमानी अतिसय मन माखे॥ परिकर बाँधि उठे अकुलाई। चले इष्ट देवन्ह सिर नाई॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
सुनि पन सकल भूप अभिलाषे। भटमानी अतिसय मन माखे॥
परिकर बाँधि उठे अकुलाई। चले इष्ट देवन्ह सिर नाई॥3॥
भावार्थ:
प्रण सुनकर सब राजा ललचा उठे। जो वीरता के अभिमानी थे, वे मन में बहुत ही तमतमाए। कमर कसकर अकुलाकर उठे और अपने इष्टदेवों को सिर नवाकर चले॥3॥
English :
IAST :
Meaning :