हरु बिधि बेगि जनक जड़ताई। मति हमारि असि देहि सुहाई॥ बिनु बिचार पनु तजि नरनाहू। सीय राम कर करै बिबाहू॥2॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kand
हरु बिधि बेगि जनक जड़ताई। मति हमारि असि देहि सुहाई॥
बिनु बिचार पनु तजि नरनाहू। सीय राम कर करै बिबाहू॥2॥
भावार्थ:
हे विधाता! जनक की मूढ़ता को शीघ्र हर लीजिए और हमारी ही ऐसी सुंदर बुद्धि उन्हें दीजिए कि जिससे बिना ही विचार किए राजा अपना प्रण छोड़कर सीताजी का विवाह रामजी से कर दें॥2॥
English :
IAST :
Meaning :