सो धन धन्य प्रथम गति जाकी। धन्य पुन्य रत मति सोइ पाकी॥ धन्य घरी सोइ जब सतसंगा। धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा॥4॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
Read More