भगति हीन बिरंचि किन होई। सब जीवहु सम प्रिय मोहि सोई॥ भगतिवंत अति नीचउ प्रानी। मोहि प्रानप्रिय असि मम बानी॥5॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
Read More