बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल। बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥122 क॥
Spread the Glory of Sri SitaRam!श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
Read More