तब मैं कहा कृपानिधि तुम्ह सर्बग्य सुजान। सगुन ब्रह्म अवराधन मोहि कहहु भगवान॥110 घ॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
दोहा :
तब मैं कहा कृपानिधि तुम्ह सर्बग्य सुजान।
सगुन ब्रह्म अवराधन मोहि कहहु भगवान॥110 घ॥
भावार्थ:
तब मैंने कहा- हे कृपा निधि! आप सर्वज्ञ हैं और सुजान हैं। हे भगवान् मुझे सगुण ब्रह्म की आराधना (की प्रक्रिया) कहिए। 110 (घ)॥
IAST :
Meaning :