सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥5॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
सो सब तव प्रताप रघुराई।
नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥5॥
भावार्थ:
यह सब तो हे श्री रघुनाथजी! आप ही का प्रताप है। हे नाथ! इसमें मेरी प्रभुता (बड़ाई) कुछ भी नहीं है॥5॥
English :
IAST :
Meaning :