कोल किरात बेष सब आए। रचे परन तृन सदन सुहाए॥ बरनि न जाहिं मंजु दुइ साला। एक ललित लघु एक बिसाला॥4॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
द्वितीय सोपान | Descent Second
श्री अयोध्याकाण्ड | Shri Ayodhya-Kand
चौपाई :
कोल किरात बेष सब आए। रचे परन तृन सदन सुहाए॥
बरनि न जाहिं मंजु दुइ साला। एक ललित लघु एक बिसाला॥4॥
भावार्थ:
सब देवता कोल-भीलों के वेष में आए और उन्होंने (दिव्य) पत्तों और घासों के सुंदर घर बना दिए। दो ऐसी सुंदर कुटिया बनाईं जिनका वर्णन नहीं हो सकता। उनमें एक बड़ी सुंदर छोटी सी थी और दूसरी बड़ी थी॥4॥
English :
IAST :
Meaning :