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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

श्री शिव स्तुति संग्रह

शिव मानस पूजा हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित | Shiv Manas Pooja Lyrics in Sanskrit Hindi English

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शिव मानस पूजा हिंदी अंग्रेजी अर्थ सहित

रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम्।
जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा दीपं
देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम्॥१॥

ratnaiḥ kalpitamāsanaṃ himajalaiḥ snānaṃ ca divyāmbaraṃ
nānāratnavibhūṣitaṃ mṛgamadāmodāṅkitaṃ candanam।
jātīcampakabilvapatraracitaṃ puṣpaṃ ca dhūpaṃ tathā dīpaṃ
deva dayānidhe paśupate hṛtkalpitaṃ gṛhyatām॥1॥

हे दयानिधे! हे पशुपते! हे देव! यह रत्ननिर्मित सिंहासन, शीतल जल से स्नान, नाना रत्नावलिविभूषित दिव्य वस्त्र, कस्तूरिकागन्धसमन्वित चन्दन, जूही, चम्पा और बिल्वपत्र से रचित पुष्पांजलि तथा धूप और दीप यह सब मानसिक [पूजोपहार] ग्रहण कीजिये॥१॥

सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥२॥

sauvarṇe navaratnakhaṇḍaracite pātre ghṛtaṃ pāyasaṃ
bhakṣyaṃ pañcavidhaṃ payodadhiyutaṃ rambhāphalaṃ pānakam।
śākānāmayutaṃ jalaṃ rucikaraṃ karpūrakhaṇḍojjvalaṃ
tāmbūlaṃ manasā mayā viracitaṃ bhaktyā prabho svīkuru॥2॥

मैंने नवीन रत्नखण्डों से खचित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर, दूध और दधिसहित पाँच प्रकार का व्यञ्जन, कदलीफल, शर्बत, अनेकों शाक, कपूर से सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल और ताम्बूल—ये सब मन के द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये हैं; प्रभो! कृपया इन्हें स्वीकार कीजिये॥२॥

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं
वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा।
साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया
सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो॥

chatraṃ cāmarayoryugaṃ vyajanakaṃ cādarśakaṃ nirmalaṃ
vīṇābherimṛdaṅgakāhalakalā gītaṃ ca nṛtyaṃ tathā।
sāṣṭāṅgaṃ praṇatiḥ stutirbahuvidhā hyetatsamastaṃ mayā
saṅkalpena samarpitaṃ tava vibho pūjāṃ gṛhāṇa prabho॥

छत्र, दो चँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग, दुन्दुभी के वाद्य, गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नानाविधि स्तुति—ये सब मैं संकल्प से ही आपको समर्पण करता हूँ; प्रभो! मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये॥३॥

आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं
गृहं पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः।
सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥४॥

ātmā tvaṃ girijā matiḥ sahacarāḥ prāṇāḥ śarīraṃ
gṛhaṃ pūjā te viṣayopabhogaracanā nidrā samādhisthitiḥ।
sañcāraḥ padayoḥ pradakṣiṇavidhiḥ stotrāṇi sarvā giro
yadyatkarma karomi tattadakhilaṃ śambho tavārādhanam॥4॥

हे शम्भो ! मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वतीजी हैं, प्राण आपके गण हैं, शरीर आपका मन्दिर है, सम्पूर्ण विषय-भोगकी रचना आपकी पूजा है, निद्रा समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं; इस प्रकार मैं जो-जो भी कर्म करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है।४॥

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो॥५॥

karacaraṇakṛtaṃ vākkāyajaṃ karmajaṃ vā
śravaṇanayanajaṃ vā mānasaṃ vāparādham।
vihitamavihitaṃ vā sarvametatkṣamasva
jaya jaya karuṇābdhe śrīmahādeva śambho॥5॥

प्रभो! मैंने हाथ, पैर, वाणी, शरीर, कर्म, कर्ण, नेत्र अथवा मन से जो भी अपराध किये हों; वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको आप क्षमा कीजिये। हे करुणासागर श्रीमहादेव शंकर! आपकी जय हो। तापों, पापों, रोगों और वियोगों से शरीर जर्जरित हो गया है, मेरा मन मिथ्या मोह और अभिलाषाओं से दुर्बल और दीन होकर (आप) श्रीमहादेवजी के चिन्तन से शून्य ही भ्रम रहा है। अतः हे शिव! हे शिव! हे शंकर! हे महादेव! हे शम्भो! अब मेरा अपराध क्षमा करो! क्षमा करो!॥5॥

इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं श्रीशिवमानस पूजा सम्पूर्णम्।


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Shivangi

शिवांगी RamCharit.in को समृद्ध बनाने के लिए जनवरी 2019 से कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं। यह इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में स्नातक एवं MBA (Gold Medalist) हैं। तकनीकि आधारित संसाधनों के प्रयोग से RamCharit.in पर गुणवत्ता पूर्ण कंटेंट उपलब्ध कराना इनकी जिम्मेदारी है जिसे यह बहुत ही कुशलता पूर्वक कर रही हैं।

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