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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

स्तुति चालीसा संग्रह | Collection of Stuti Chalisa

श्रीरामस्तुति जटायुप्रोक्तं (अध्यात्मरामायणे)

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श्रीरामस्तुती जटायुप्रोक्तं अध्यात्मरामायणे

॥ श्रीरामस्तुती जटायुप्रोक्तं अध्यात्मरामायणे ॥

अगण्यगुणमाद्यमव्ययमप्रमेय-
मखिलजगत्सृष्टिस्थितिसंहारमूलम् ।
परमं परापरमानन्दं परात्मानं
वरदमहं प्रणतोऽस्मि सन्ततं रामम् ॥ १॥

महितकटाक्षविक्षेपितामरशुचं
रहितावधिसुखमिन्दिरामनोहरम् ।
श्यामलं जटामकुटोज्ज्वलं चापशर-
कोमलकराम्बुजं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ २॥

भुवनकमनीयरूपमीडितं शत-
रविभासुरमभीष्टप्रदं शरणदम् ।
सुरपादमूलरचितनिलयं
सुरसञ्चयसेव्यं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ३॥

भवकाननदवदहननामधेयं
भवपङ्कजभवमुखदैवतं देवम् ।
दनुजपतिकोटिसहस्रविनाशं
मनुजाकारं हरिं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ४॥

भवभावनाहरं भगवत्स्वरूपिणं
भवभीविरहितं मुनिसेवितं परम् ।
भवसागरतरणाङ्घ्रिपोतकं नित्यं
भवनाशायानिशं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ५॥

गिरिशगिरिसुताहृदयाम्बुजावासं
गिरिनायकधरं गिरिपक्षारिसेव्यम् ।
सुरसञ्चयदनुजेन्द्रसेवितपादं
सुरपमणिनिभं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ६॥

परदारार्थपरिवर्जितमनीषिणां
परपूरुषगुणभूतिसन्तुष्टात्मनाम् ।
परलोकैकहितनिरतात्मनां सेव्यं
परमानन्दमयं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ७॥

स्मितसुन्दरविकसितवक्त्राम्भोरुहं
स्मृतिगोचरमसिताम्बुदकलेबरम् ।
सितपङ्कजचारुनयनं रघुवरं
क्षितिनन्दिनीवरं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ८॥

जलपात्रौघस्थितरविमण्डलसमं
सकलचराचरजीवान्तःस्थितम् ।
परिपूर्णात्मानमद्वयमव्ययमेकं
परमं परापरं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ९॥

विधिमाधवशम्भुरूपभेदेन गुण-
त्रितयविराजितं केवलं विराजन्तम् ।
त्रिदशमुनिजनस्तुतमव्यक्तमजं
क्षितिजामनोहरं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ १०॥

मन्मथशतकोटिसुन्दरकलेवरं
जन्मनाशादिहीनं चिन्मयं जगन्मयम् ।
निर्मलं जन्मकर्माधारमप्यनाधारं
निर्मममात्मारामं प्रणतोऽस्म्यहं रामम् ॥ ११॥


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Shiv

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