RamCharitManas (RamCharit.in)

इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

श्री राम स्तुति संग्रह

श्री भद्राचल रामदास कृत चतुर्विंशतिनाम प्रतिपादक चूर्णिका | Chaturvinsatinaam Pratipadaka Choornika by Bhadrachal Ramdas

Spread the Glory of Sri SitaRam!

श्री भद्राचल रामदास कृत चतुर्विंशतिनाम प्रतिपादक चूर्णिका

Chaturvinsatinaam Pratipadaka Choornika by Bhadrachal Ramdas

 

श्रीमदखिलाण्ड कोटि ब्रह्माण्ड भाण्ड
दाण्डोपदण्ड मण्डल सान्दोत्दीपित सगुण निर्गुणातीत
सच्चिदानन्द परात्पर तारक ब्रह्माख्य दशदिशा
प्रकाशं, सकल चराचराधीशं कमल संभव
सचीधव प्रमुख निखिल वृन्दारक वृन्द वन्द्यमान
सन्दीप्त दिव्यचरणारविन्दं, श्री मुकुन्दम् ।

तुष्ट निग्रह शिष्ट परिपालनोत्कट कपट नाटक सूत्र
चरित्राञ्चित बहुविधावतारं, श्री रघुवीरम् ।

कौसल्या दशरथ मनोरथानन्द कन्दळित
निरूढ क्रीडा विलोलन शैशवं श्री केशवम् ।

विश्वामित्र यज्ञ विघ्नकारणोत्कट ताटकाचर सुबाहुबाहुबल
विदलन बाणप्रवीण पारायणं श्रीमन्नारायणम् ।

निजपाद जलज घनस्पर्शनीय शिलारूप शाप
विकृत गौतम सती विनुत महीधवं, श्री माधवम् ।

खण्डेन्तुदर प्रचण्ड कोदण्ड खण्डनोत्दण्ड
गोदण्ड कौशिक लोचनोत्सव जनक चक्रेश्वर
समर्पित सीता विवाहोत्सवानन्दं श्री गोविन्दम् ।

परशुराम भुजगर्व दर्प
निर्वापण तानुगतरण विजय वर्धिष्णुं, श्री विष्णुम् ।

पितृवाक्य परिपालनोत्कट जटावल्कलोपेत सीतालक्ष्मण सहित
महित राज्याभितमत दृढव्रत कलित प्रयाण
रङ्ग गङ्गावतरण साधनं, श्री मधुसूदनम् ।

भरद्वाजोपचार निवारित मार्गश्रम निराघाट
चित्रकूट प्रवेशक्रमं, श्री त्रिविक्रमम् ।

जनक नियोग शोकाकुलित भरतशत्रुघ्न ललनानुकूल बन्धु पादुका
प्रदान सीता निर्मितान्तः करण दुष्ट चेष्टायमान
क्रूर काकासुर गर्वोपशमनं, श्री वामनम् ।

दण्डका गमन निरोध क्रोध विराटानल
ज्वाला जलधरं, श्री श्रीधरम् ।

शरभङ्ग सुतीक्ष्णात्रीदर्शनाशीर्वाद निर्व्याज
कुम्भलसंभव कृपालप्ध महादिव्य दिव्यास्त्र
समुदयार्चित प्रकाशं, श्री हृषीकेशम् ।

पञ्चवटीतट
सङ्घटित विशालपर्णशालागत शूर्पणखा नासिकाः
छेदन मानावबोधन महाहवारंभ विज्रुम्भण रावण
नियोग माया मृगसंहार कार्यार्थ लाभं, श्री पद्मनाभम् ।

रात्रिञ्चर
पर वञ्चनाहृत सीतान्वेषण रतपङ्क्ति रथक्षोभ
शिथीलीकृत पक्ष जटायु मोक्ष बन्धुप्रियावसान निर्यन्तिता
कबन्द वक्त्रोदरशरीर निरोधरं, श्री दामोदरम् ।

शबर्युपदे शपंपातटगमन
हनुमद् सग्रीव संभाषण बन्धुरात् बन्धुर
दुन्दुभि कळेबरोत्पतन, सप्तसालः छेदन, वालि विदारण
प्रपन्न सुग्रीव साम्राज्य सुखहर्षणं, श्री सङ्कर्षणम् ।

सुग्रीवाङ्गत नील जाम्बवश्च नलकेसरि प्रमुख
निखिल कपिनायक सेवा समुदयार्चित देवं, श्री वासुदेवम् ।

निजदत्त मुद्रिकाजाग्रत् समग्राञ्जनेय विनय वचन
रचनाम्बुधि लङ्घनोल्ल्ङ्घित लङ्किणी प्राणोल्ललङ्घन
जनकजा दर्शनाक्ष कुमार हरण, लङ्कापुरि दहण
प्रतिष्टित, शुक प्रशङ्ग दिरुष्टद्युम्नं, श्री प्रद्युम्नम् ।

अग्र पोदक्र
महोग्र निग्रह बलाय मानापमाननीय निजशरण्यागण्य
पुण्योदय विभीषणाभय प्रधानानिरुद्दं, श्रीमदनिरुद्दम् ।

अपार
लवण पारावार समुज्रुंभितोत्कर्षण गर्व निर्वापणदीक्षा
समर्थसेतु निर्वाण प्रवीणाखिल स्थिर चरोत्तमं, श्री
पुरुषोत्तमम् ।

निस्तुल प्रहस्त कुम्भकर्णेन्द्रजित् कुम्भ निकुम्भाग्नि वर्णातिकाय महोदर
महापार्श्वादि दनुज धनुखण्डनायमान कोदण्ड गुणश्रवण
शोषणा हताशेष राक्षस प्रजम् , श्री अधोक्षजम् ।

अकुण्डित रणोत् कण्ठ दशकण्ठ दनुज
कण्ठीरवकण्ठलुण्डनायमान जयावहं श्री नारसिंहम् ।

दशग्रीवानुज भट्ट भद्र द्वजाख्य विभव लङ्कापुरि
स्पुरण सकल साम्राज्य सुखोज्जितं, श्रीमदच्युतम् ।

सकल सुरासुराद्भुत प्रज्वलित पावक
मुखभूदायमान सीतालक्ष्मणाङ्गत महनीय पुष्पकाधि रोहण
नन्दिग्राम स्थित भ्रात्रुभिर्युत जटा वल्कल विसर्जनांफर
भूषणालङ्कृत श्रेयो विवर्धनं, श्री जनार्दनम् ।

अयोध्या नगर पट्टाभिषेक विशेष महोत्सव निरन्तर दिगन्त
विश्रान्त हारहीर कर्पूर पयः पारावार भारत वाणी कुन्देन्दु
मन्दाकिनी चन्दन सुरदेनु शरदम्बु तालीवर धम्पोलि शत
दानाश्व सुभकीर्तिःश् षडाक्षर पाण्डु भूत सभा
विभ्राजमान निखिल भुवनैक यशः सान्द्रं श्री उपेन्द्रम् ।

भक्तजन संरक्षण दीक्षण कटाक्ष शोभाद्य समुत्तरिं श्री हरिम् ।

केशवादि चतुर्विंशति नाम गर्भ
सन्दर्पित निज गथाङ्गीकृत मेधा वर्तिष्णुं श्री कृष्णम् ।

सर्व सुपर्व पार्वती हृदय कमल तारक ब्रह्मनामं
सम्पूर्णकामं पवतरणानु कन सान्द्रं
भवजनित भयोःछेदः छिद्रमछिद्रं भक्तजन मनोरथोन्निद्रं,
भद्राचल रामभद्रं रामदास प्रपन्नं भजेऽहं भजेऽहम् ॥

 

॥ इति श्री भद्राचल रामदास कृत केशवादि चतुर्विंशति प्रतिपादक चूर्णिका सम्पूर्णम् ॥


Spread the Glory of Sri SitaRam!

Shiv

शिव RamCharit.in के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं एवं सनातन धर्म एवं संस्कृत के सभी ग्रंथों को इंटरनेट पर निःशुल्क और मूल आध्यात्मिक भाव के साथ कई भाषाओं में उपलब्ध कराने हेतु पिछले 8 वर्षों से कार्यरत हैं। शिव टेक्नोलॉजी पृष्ठभूमि के हैं एवं सनातन धर्म हेतु तकनीकि के लाभकारी उपयोग पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

उत्कृष्ट व निःशुल्क सेवाकार्यों हेतु आपके आर्थिक सहयोग की अति आवश्यकता है! आपका आर्थिक सहयोग हिन्दू धर्म के वैश्विक संवर्धन-संरक्षण में सहयोगी होगा। RamCharit.in व SatyaSanatan.com धर्मग्रंथों को अनुवाद के साथ इंटरनेट पर उपलब्ध कराने हेतु अग्रसर हैं। कृपया हमें जानें और सहयोग करें!

X
error: